Friday, April 29, 2016

जीवन की राहों में

वह  देख रही है
फैशन मैगजीन में
लेटेस्ट डिजाइन का परिधान
उसे दिखाना है अपना रुतबा
किटी पार्टी की सहेलियों के बीच

शहर के सब से महंगे
नाईट कल्ब में देना चाहती है
शादी की साल गिरह की पार्टी
उसे दिखना है अपना वजूद
फ्रेंड सर्कल के बीच

शराब के टकराते जाम
धुऐं के उठते गुब्बार
नाचती बार बालाओं के बीच
दिखाना है अपने आप को मॉडर्न
सोसाइटी के बीच

आश्वस्त होती है
मेरी कविता यह सब देख कर
तुलसी की जगह कैक्टस
रोपने के दिन आ गए हैं अब
जीवन के बीच।


( यह कविता स्मृति मेघ में प्रकाशित हो गई है। )



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