Friday, January 30, 2015

सात क्षणिकायें

दिल में बसी
अंतिम सांस जैसी
तुम्हारी यादें।

मन चाहता
अपने की छुवन
जिंदगी भर।

मन डोलता
सर्द ठंडी रातों में
तुम कहाँ हो ?

छलक आती
पलको से बदली
आँसूं बन के

एक आस जो
गुम हो गयी कहीं
तुम्हारे साथ।

सावन आया
नाचा मन मोर भी
तुम नहीं थी।

अब चाहता
मोहक अनुभूति
बावरा मन।

तारों के संग
कैसे बीती है रात
चाँद से पूछो।

गीत फिर से
थरथराने लगा
मधुमास का।










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