Sunday, January 25, 2015

अनुभूति की अभिव्यक्ति

      मेरे मन में 
जब भी भाव आते हैं 
मैं लिखता रहता हूँ। 

अभूतपूर्व या
सुन्दर लिखने की
चेष्टा नहीं करता हूँ। 

लिखते रहने से 
मन को थोड़ा 
शुकून मिलता है। 

एकाकी जीवन को 
थोड़ा सम्बल 
मिलता है। 

मेरा लिखा 
मेरे बाद भी रहेगा 
ऐसा भी लगता है।  

अतीत की स्मृतियाँ 
लिखते रहने से 
ताजा हो जाती है। 

यादों के बीच
बनती रहती है मन के 
भावों की स्तुति। 

कलम के सहारे
  करता रहता हूँ 
अनुभूति की अभिव्यक्ति । 


( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )






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