Sunday, March 9, 2014

तुम्हारे साथ

तुम्हारे साथ
मेरा दिन निकलता है
गुलाब के फूलों की तरह

तुम्हारे साथ
मेरी शाम ढलती है
जुगनुओं  की तरह

तुम्हारा साथ
जीवन की राह में 
चाँद-चांदनी की तरह

तुम्हारा संग
सुख पल्लवित करता 
फूलों की छांव की तरह

तुम्हारे अधरों की 
मुस्कान सुख देती 
सबनम की बूंदो की तरह 

तुम्हारी झील सी
आँखों में मेरा अक्श 
दिखता आईने की तरह

हमारे संग सफ़र की 
यादे दिल में बसी है 
किताबों की तरह।




  [ यह कविता "एक नया सफर" में प्रकाशित हो गई है। ]






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