Saturday, October 19, 2013

मौज मनास्या खेता में (राजस्थानी कविता )


धौरा माथै बाँध झुंपड़ो
दौन्यु रैस्या खेता में
सीट्टा मौरस्या मौरण खास्यां
खुपरी खास्यां खेता में
मौज मनास्यां खेता में

खेजड़ळी पर घाल हिंडोळो
हिंडो हिंडस्या सावण में
खाट्टा मिट्ठा खास्या बोरिया
कांकड़ वाला खेता में
मौज मनास्यां खेता में 

हरियै धान री मीठी सौरभ
गमकै ळी जद खेता में
अलगोजा पर मूमळ गास्यां
धौरां वाला खेता में
मौज मनास्यां खेता में

हेत प्रीत रा कांकड़ डोरड़ा
आपा खोलस्या खेता में
हाथ पकड़ कर कनै बैठस्यां
बाता करस्यां खेता में
मौज मनास्यां खेता में

साख सवाई अबके हुसी
घोटां पोटां बाजरियाँ
सिट्या तोड़स्यां कड़ब काटस्यां
खळो काढस्यां खेता में
मौज मनास्यां खेता में।




[ यह कविता "एक नया सफर" पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]


2 comments: