Monday, December 26, 2011

जिन्दगी

दुनियां में
सब कुछ तय है
कौन कब पैदा होगा
कौन कब मरेगा
कब आएगी गर्मी
कब आएगी  बरसात
कब होगी रात और
कब आयेगा प्रभात
यानी सब कुछ
पहले से ही तय है
और जब सब कुछ 
पहले से ही तय है
तब चिंता किस बात की
जिओ जिन्दगी को जिंदादिली से।


(यह कविता  "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )


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