Friday, August 12, 2011

गुस्सा क्यों नहीं आता


भाई धर्मचंद
तुम मुझे बताओ कि
तुमको गुस्सा क्यों नहीं आता 

तुम किस मिटटी के बने हो यार 
कोई भी घटना घटित हो जाए  
मगर तुम को कुछ नहीं होता 

 आज दीघा से
वापिस कोलकता आते समय 
अविनाश १२० की स्पीड पर 
 गाडी चला रहा था

टर्निंग पर उसने गाडी को
इस तरह से काटा
कि गाडी दो चक्कों पर आ गई 
लेकिन तुम्हारे कुछ नहीं हुवा
तुम्हारा मन शांत था

यदि अविनाश के पास
 मैं बैठा होता
चाहे जितना लाडला हो 
मै थप्पड़ लगा देता

उसको बता देता कि
मोड़ पर गाडी को
किस तरह से काटा जाता ?  

जबकि तुम 
मेरी तरफ देख कर
मुस्करा रहे थे

मुझे
आये गुस्से का
मजा ले रहे थे

आज तुम मुझे बताओ
कि तुम्हें गुस्सा
क्यों नहीं आता ? 

NO 


कोलकात्ता
११  अगस्त, २०११
  

2 comments:

  1. उम्दा सोच
    भावमय करते शब्‍दों के साथ गजब का लेखन ...आभार ।

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